रूह तक छुपा लो मुझे!
इस तरह मिल गए कुछ यूँ मुझसे तेरे ज़ज्बात,
जैसे एक अरसे बाद वापिस आ गयी कोई भूली याद..
मिलते न मुझसे वोह यूँ तो बेहतर था,
जाने और क्या क्या रंग दिखायेंगे तेरे जाने के बाद..
यादों का क्या है, यह तो एक किस्सा भर है,
जो एक कहानी छोड़ जाते है किसी के सुनने के बाद..
पर इन् यादों का पहरा है ही कुछ ऐसा,
ज़िन्दगी भर क लिए आँखों में नमी दे जाते है याद आने के बाद..
रूह तक छुपा लो मुझे, और कभी न छोड़ जाने का वादा कर जाओ,
क्या पता, कल मैं भी एक याद बन जाऊ, सबको यह किस्सा सुनाने के बाद...
2 comments:
सुन्दर रचना है।बधाई।
it is nice poetry u made..
some thing make a sense to explore as a emotion bt sme time it is stop before come to our eyes..
make a deep sense..
good.
god bless u.
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