Friday, December 19, 2008

Jaroorath
ज़िन्दगी रुकी सी है,
दिल को जरूरत किसी की है..

आये कोई फ़रिश्ता बन के,
शायद तमन्ना एक इसी की है..

थमी हुई सी धड़कन,
अब इस दिल की है..
आँखों को इन्तेज़ार किसी और का भी है..

कशमकश में लूटा मैं सुबह से रात भर,
दिशा ढूँढने को बेकरार अभी भी है..

कहाँ ले जायेंगे मुझे ये दिन और रात,
क्या यु ही चलेगा ज़िन्दगी का कारवां,किसी और के हाथ,

निकले कोई सार मेरी ज़िन्दगी का,
कहीं उम्र बीत न जाये दूंधने में हर लम्हा ख़ुशी का..

4 comments:

bijnior district said...

हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे बढ़िया लिखे। हजारों शुभकामनांए।
कृपयर सैटिंग में जाकर वर्ड वैरिफिकेशन हटा दें । इससे टिप्पणी देने मे परेशानी होती है।

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

प्रदीप मानोरिया said...

आपका चिटठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है अत्यन्त भावभीनी कविता
मेरे ब्लॉग पर भी पधारें

Unknown said...

it is too nice
bt i not understand whom one ,u r searching?
too itni emotional kab se rehne lagi.